है मुस्कुराहट बिखेर रहा तू
गम को पेश कर रहा नहीं है ,
कुछ तो है छुपा मन में तेरे
मन को तू टटोल रहा नहीं है ।
चमक रहा इक-लौता है तू
फ़िर भी तुझे घमंड नहीं है ।
है सूना सा इस नभ में तू
फ़िर भी तू अकेला नहीं है ।
आबरु तेरी हो रही चका-चौंद
मन में तेरे तिमिर नहीं है ।
बस चांदनी इक हमराह है तेरी
संग आती संग जाती , संग रोत्ती-हस्ती है ,
तुमसे जग-मग तारों की मनडी
तुमसे रौशन निशा की बस्ती है ।
है शिकन गंभीर मगर
प्रभाविक तेरा तेज है
सजा तुमसे घूँघट रात का
अधीन तारों का सेज है ।
अदा युगों से है तेरी
हौसला सदियों पुराना है
नाम सदा से है तेरा
फ़िर क्यों बेनाम , बेगाना है ।
गम की बस्ती में तू है अकेला
अंधेर चट्टान पर कंकड़ उजेला
शीतलता की धारा थमी नहीं है
दिया सदा है , माँगा नहीं है
दाता तू , बस देना ही सीखा
तूने बस जीना ही सीखा ।
गम को पेश कर रहा नहीं है ,
कुछ तो है छुपा मन में तेरे
मन को तू टटोल रहा नहीं है ।
चमक रहा इक-लौता है तू
फ़िर भी तुझे घमंड नहीं है ।
है सूना सा इस नभ में तू
फ़िर भी तू अकेला नहीं है ।
आबरु तेरी हो रही चका-चौंद
मन में तेरे तिमिर नहीं है ।
बस चांदनी इक हमराह है तेरी
संग आती संग जाती , संग रोत्ती-हस्ती है ,
तुमसे जग-मग तारों की मनडी
तुमसे रौशन निशा की बस्ती है ।
है शिकन गंभीर मगर
प्रभाविक तेरा तेज है
सजा तुमसे घूँघट रात का
अधीन तारों का सेज है ।
अदा युगों से है तेरी
हौसला सदियों पुराना है
नाम सदा से है तेरा
फ़िर क्यों बेनाम , बेगाना है ।
गम की बस्ती में तू है अकेला
अंधेर चट्टान पर कंकड़ उजेला
शीतलता की धारा थमी नहीं है
दिया सदा है , माँगा नहीं है
दाता तू , बस देना ही सीखा
तूने बस जीना ही सीखा ।
8 comments:
Your poem proved an important principle once again; wisdom is found at least expected places; You taught us how moon can be a teacher.
Nice write-up !
बहोत खूब लिखा है आपने .....
बहुत अच्छे!
बधाई!
आपको तथा आपके पुरे परिवार को नव्रर्ष की मंगलकामनाएँ...साल के आखिरी ग़ज़ल पे आपकी दाद चाहूँगा .....
अर्श
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
Umda rachna....!
bahut hi sunder rachna hai mitr bdhai hoo
aap sabhi logo ka dil se bahut bahut dhanyavaad!!!!
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