इस वीरानी तन्हाई को क्या कहते है
जिगर में जो गड़ जाती है,
चमक नजर की जो निचोड़ लेवे
खुशी दिल की सब झड़ जाती है ।
इस वीरानी तन्हाई को क्या कहते है
खीच लेती जो पल्को के ख़ाब तक को,
इस वीरानी तन्हाई को क्या कहते है
जो गला दे फूलों के शबाब तक को ।
निकाल अहसास सुख का ठण्ड भर देती
बुझा कर दिया दिल का तिमिर कर देती।
इस वीरानी तन्हाई को क्या कहते है
जब आहट का अहसास न हो
दूर तलक कोई पास न हो
इस वीरानी तन्हाई को क्या कहते है
जब मिट्टी में अपनी, साँस न हो ।
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